विटामिन डी खाएं, लंग्स स्ट्रोक से बचें
सेहतराग टीम
हमारे शरीर के लिए विटामिन डी की महत्ता के बारे में लगातार खबरों में जानकारी मिलती ही रहती है। शरीर में कैल्सियम के अवशोषण के लिए विटामिन डी अनिवार्य होता है। आमतौर पर सूर्य की किरणों से शरीर को उसकी जरूरत के लायक विटामिन डी मिल जाता है मगर आजकल की जिंदगी में लोगों को पर्याप्त धूप का सेवन करने का मौका ही नहीं मिलता जिसके कारण शरीर में विटामिन डी की कमी हो जाती है। इससे कैल्सियम युक्त आहार लेने के बावजूद अधिकांश कैल्सियम शरीर में अवशोषित नहीं हो पाता और इसके कारण शरीर की हड्डियां कमजोर होने लगती हैं क्योंकि हड्डियों की मजबूती के लिए कैल्सियम का होना जरूरी है। इसलिए सूर्य की किरणों की किरणों से जब विटामिन डी नहीं मिलता तो लोगों को डॉक्टर विटामिन डी की गोलियां खाने को देते हैं।
अब एक नए शोध से पता चला है कि विटामिन डी युक्त अनुपूरक आहार फेफड़े की बीमारी क्रॉनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पल्मनरी डिजीज यानी सीओपीडी से पीड़ित मरीजों में जानलेवा आघात यानी स्ट्रोक के खतरे को कम कर सकता है। एक नए अध्ययन में ऐसा दावा किया गया है। ब्रिटेन की क्वीन मेरी यूनिवर्सिटी ऑफ लंदन के इस अनुसंधान ने विटामिन डी के स्वास्थ्य लाभों की सूची में एक और फायदा जुड़ गया है।
विटामिन डी का मूल स्रोत सूरज की रोशनी है। हालांकि विटामिन डी की गोलियां, डेयरी उत्पाद, मछली और कुछ फोर्टिफाइड अनाजों से भी इस विटामिन की कमी पूरी की जा सकती है। विटामिन डी को यूं तो हड्डियों की सेहत के लिए खास तौर पर जाना जाता है लेकिन पूर्व के अध्ययनों में इसे जुकाम, फ्लू और दमा का दौरा रोकने में भी सक्षम बताया गया। साथ ही इसे कुपोषित बच्चों में वजन बढ़ाने एवं मस्तिष्क विकास के लिए भी सहायक बताया गया।
अनुसंधान में पाया गया कि विटामिन डी अनुपूरक आहारों के इस्तेमाल से सीओपीडी मरीजों में फेफड़े का दौरा पड़ने की आशंका को 45 प्रतिशत तक घटाया जा सकता है। सीओपीडी से पीड़ित मरीजों में विटामिन डी की कमी होती है। हालांकि जिन मरीजों में विटामिन डी का स्तर अधिक था उनमें कोई खास फायदा नहीं देखा गया। फेफड़े की बीमारियों से होने वाली लगभग सभी मौत फेफड़े का दौरा पड़ने से ही होती है। यह अध्ययन थोरेक्स पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।
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